Thursday, September 18, 2008

Bahot Shukriya…

A colleague took his girlfriend to lunch, and forgot his wallet in the office. When realisation dawned upon him in the restaurant, he went to the washroom and tried calling his team-mates, but they were in a meeting. So he called me up to get his wallet.
The whole thing was so funny, it inspired me to do a satire of an old Hindi song sung by Asha Bhonsle – Mohd Rafi :
Bahot shurkriya badi meherbaani, meri zindagi mein huzoor aap aaye…

Here it is…

लडका:
बहोत प्रोब्लेम हुवा, बडी परेशानी
इस होटेल में क्यों हम आये
घडी बेच दूं, या कपडे निकालू
करु क्या ये मेरी समझ में ना आये

करु पेश किसको नजराना बिल का
ना बन जाये कोई फलूदा इज्जत का
खुदा जाने मेरी सोनेरी घडी फिर
मेरी जिंदगी मे कब मिल जाये

बिल तो बहोत है, और पैसे कम है
सब दोस्तों के फोन भी बंद है
आज ये मुसाफिर दुवा मांगता है
खुदा इन सबको जल्द ही उठाये

लडकी:
मुझे डर है मुझपे, नजर आ ना जाये
लगुं भागने मैं, वो पिछे आ ना जाये
कही ये मेरी पर्स ना खोलकर
बिल पे करे और फिर भूल जाये



3 comments:

Unknown said...

sahi maja aali...its always a pleasure to read you.

Prasanna Shembekar said...

Good . So you paid it ?

Unknown said...

petya khai lipun basla...